Tuesday, September 21, 2010

क्या मुख्यमंत्री की हंसी क़ायम रह सकेगी ?



मुझे नहीं लगता कि अयोध्या मसले पर अपनी हंसी के साथ मायावती कोई समझौता करेंगी...क्योंकि अभी तीर कमान से निकला नहीं है ....फैसला दरवाज़े पर खड़ा है और मुख्यमंत्री के साथ सभी चाहते है कि फैसले के बाद अमन चैन बना रहे.....लेकिन अभी फिलहाल मायावती की चिंता का दायरा सुरक्षा व्यवस्था पर टिका हुआ है.....लाज़मी भी है उत्तरप्रदेश की गाड़ी वो ही तो चला रही हैं और गाड़ी सही ट्रैक पर चले ये तो वही सुनिश्चित करेंगी.....और कोई ये भी  नहीं चाहता कि 1992 की कहानी फिर से सामने आए,खैर अब तो सरकार भी वो नहीं रही जो उस वक्त थी....दरअसल ये भी हो सकता है कि ये मुख्यमंत्री की चालाकी हो कि वो केन्द्र पर अपने प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था या कहें कि केन्द्रीय बल को नाकाफी बता रही हैं....क्योंकि इस बहाने केन्द्र को भी कठघरे में तो खड़ा किया ही जा सकता है....वैसे भी दूसरे कई मोर्चो पर केन्द्र सरकार विफल रही है....और कोई फिलहाल मुद्दा भी नहीं है... लेकिन अभी तो सबसे बड़ा सवाल यही कि 20 करोड़ लोगों की सरक्षा का ज़िम्मा मुख्यमंत्री की मुट्ठी में है और वो भी नहीं चाहेंगी कि उनकी मुट्ठी खुले.....हंसी के क़ायम रहने का फैसला विवादित ढांचे के फैसले के आने के बाद का होगा  .....शायद ये मुख्यमंत्री साहिबा के लिए भी परीक्षा है जिसमें दूसरे दलों के अलावा वो भी तैयारी कर रही होंगी कि अच्छे नंबरों से पास हो जांए.....आखिर बुनीयादी नंबरों से ही तो चुनाव 2012 के नंबर बन पाएंगे...क्या पता कि इस बार कोशिशे की कमी के चलते पासिंग मार्कस से रह जाए बीएसपी.....वक्त की मियाद बहुत छोटी होती है....जल्द ही वो वक्त भी आएगा....हम तो फैसले पर समीक्षा करने वालों में से हैं,सो करेंगे भी।राजनीति का तक़ाज़ा तो यही कहता है कि काफी किरकिरी होने के बाद बीजेपी अपनी छवि को किसी भी मुद्दे पर अब खराब करना नहीं चाहेगी....वहीं मुलायम सिंह के लिए ये एक रेस है ....जो वो बस जीतना चाहतें हैं.....और किसी से नहीं सिर्फ बीएसपी से......और इसी उलझन में वो राजनीति भी चमका सकते हैं...बची कांग्रेस तो इस सब ड्रामे के बीच में तुरुप का इक्का चल सकती है.....और वोट बैंक की politics की समझ विकसित कर सकती है....कहते हैं भी कि दो लोगों की लड़ाई में फायदा कोई तीसरा उठा लेता है....ये तीसरा कांग्रेस का पत्ता है .... बाकी और किसी पार्टी में इतनी क़ूवत नहीं कि उत्तरप्रेदश को चला सके....actually इस समय ये फैसला आना भी सोचा जा सकता है ....क्योंकि अभी फिलहाल उत्तरप्रदेश में चुनाव नहीं है....सब पार्टियां राजनीति के साथ एक्सपैरिमेंट कर सकती हैं...और वोटबैंक पर कोई आंच नहीं आएगी....पर हुक्मरान क्या जाने कि बिल्डिंग बनती है तो ईंठ तो मज़बूत होनी ही चाहिए....और यही तो नहीं चाहती the leading lady of uttarpradesh  कि कोई उनकी हंसी के साथ छेड़छाड़ करे और वोटबैंक को छीने..चाहत.... अपनी ख्वाहिशों के  बूते बीएसपी इसी तरह मुस्कुराती हुई फिर से बहुमत हासिल करे.....लेकिन ये वक्त की फरमाइश है कि सब चुप रहें और सम्मान करें उस फैसले का जो इतने बरस बाद आ रहा है.....ताकी अमन और शांति बनी रही ...क्योंकि इस वक्त शांति की दरकार देश में सबसे ज़्यादा है.......