Thursday, May 6, 2010

Kasab deserves more than death


आज का दिन भारत के कानूनी इतिहास में सबसे अहम माना जाएगा और साथ ही ये तारीख इतिहास के पन्नों में भी दर्ज हो जाएगी...लेकिन मेरे ज़हन में काफी वक्त से ये सवाल उठ रहा था क्या एक terrorist को फांसी दे देने से सब कुछ अपनी जगह पर वापस लौट जाएगा...उन लाखों  चेहरों पर तो सुकून का आलम होगा जिनके अपने अब नहीं रहे....लेकिन क्या हमारे हिंदु्स्तान की एंटी टेरेरिज़्म की strategy सुधर पाएगी....या हम कोर्ट के इस verdict के बाद माने कि आज के बाद क़साब जैसे आतंकवादी फिर इस देश में एंटर नहीं कर पाएंगे...खैर ये सब तो व्यवस्थाओं और नीतियों पर निर्भर करता है...मुझे तो लगता कि कसाब को सज़ा-ए-मौत के अलावा और कुछ भी मिलना चाहिए और वो है एक बेरहम मौत जो शायद इन आतंकवादियों के ज़मीर को ये एहसास कराए कि दर्द की चीख क्या होती,अपनों की मौत के वक्त कैसा लगता है..... हमारी कानून व्यवस्था की ये एक ईमारदार कोशिश है ऐसा फैसला सुनाना गया बस  अब ये कोशिश तभी सफल हो सकती है जब ये DECISION फटाफट EXECUTE हो...कसाब का मतलब क़साई होता है और काम भी उसने कसाईयों वाला ही किया है...और अब परिणाम फांसी का भुगते....मुझे तरस भी आता है क़साब के DEFENSIVE LAWER पर कि कैसे उन्होने सबकुछ जानते हुए भी कसाब की सज़ा कम करने का सोचा एक तरह से एक LAWER के लिए भी हालात समझ से बाहर होंगे कि वो किसको सप्पोर्ट कर रहें हैं...असल में  ये सज़ा तब पूरी होगी जब कसाब को फांसी हो जाएगी...खैर मानाते हैं हम हिंदुस्तान की सिक्योरिटी का कि क़साब को ज़िदा पकड़ लिया गया नहीं तो शायद हम(हिंदुस्तान) DOZIER ही भेजतो रह जाते और हम साबित ही करते रह जाते कि हमले का गुनहगार पाकिस्तान ही है जहां ऐसे टेरेरिस्ट ट्रेनिंग लेते हैं....सारे सबूत झुठला दिए जाते अगर क़साब ना होता...क़साब खुद एक सुबूत है जिसका इस्तेमाल भारत गवाही के तौर पर कर रहा है...लेकिन जो काम उसने किया है क़साब को उससे ज़्यादा मिलना चाहिए...अब मौत से ज़्यादा की सज़ा तो इस कानून के संविधान में नहीं है लेकिन ये फैसला स्वागतयोग्य है और HANG TILL DEATH जल्द हक़ीक़त में होना चाहिए.

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